हिन्दी विभाग
के एम अग्रवाल महाविद्यालय,कल्यण - महाराष्ट्र
अंतरराष्ट्रीय वेबिनार
भारतीय उपमहाद्वीप में सूफ़ीवाद और
क़व्वाली की संस्कृति ।
( दिनांक : 15 मई 2020 )
प्रस्तावना :
भारतीय
उपमहाद्वीप में सूफ़ीवाद की जड़ें उस इस्लामिक परमानंद प्राप्ति की उस शास्त्रीय
परंपरा में है जो अरब और फ़ारस में 09 वीं से 11 वीं सदी के बीच विकसित हुई और
धीरे-धीरे 12 वीं शताब्दी के बाद भारतीय उपमहाद्वीप में आयी । “तरीक़ा” और “तौहीद”
के माध्यम से ईश्वर से एकाकार होने की सूफ़ी पद्धति लोकप्रिय हुई । “मकाम”
इसका चरम स्थल है । भारतीय उपमहाद्वीप में चिश्तिया परंपरा बड़ी
महत्वपूर्ण रही । सूफ़ी संत मोईनुद्दीन चिश्ती जो कि हज़रत ख्वाजा गरीब
नवाज़ के नाम से जाने जाते हैं वे अजमेर में सन 1236 के आस-पास आये । इसी परंपरा
में काकी, बाबा फ़रीद
और निज़ामुद्दीन औलिया जैसे अनेकों सूफ़ी संत हुए जिनसे पूरे भारतीय
उपमहाद्वीप में सूफ़ीयाना संस्कृति को बढ़ावा मिला ।
सूफ़ीवाद सीखने से
अधिक अनुभूति का विषय मानी गयी । “जीकर” और “समा” संगीत के माध्यम
से सूफ़ी ईश्वर से एकाकार होने की राह में आगे बढ़ते हैं । “समा” के आयोजन में समय, स्थान और लोग इत्यादि को लेकर नियम रहे हैं । पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में सूफ़ी कलाओं की संगीतमय
प्रस्तुति क़व्वाली की पहचान बन गयी । नृत्य का सूफियों के यहाँ कोई
बुनियादी स्वरूप नहीं मिलता । “समा” के समय पागलों की तरह नाचना, चिल्लाना इत्यादि आत्मा की छटपटाहट मानी गयी है । ऐसी अवस्था को “हाल”
कहते हैं । ऐसी अनुभूतियों के लिए तैयार होने में क़व्वाली सहायक होती है ।
क़व्वाली की भाषा आत्मा की भाषा मानी जाती रही है ।
समय के साथ पूरी
सूफ़ी परंपरा में बड़े बदलाव हुए । क़व्वाली भी दरगाहों और ख़ानकाहों से निकलकर एक
व्यवसाय के रूप में बढ्ने लगी । इन्हीं सब स्थितियों, परिस्थितियों का गंभीर अकादमिक अध्ययन व विवेचना इस अंतरराष्ट्रीय
वेबिनार का मुख्य उद्देश्य है ।
शोधपत्र के लिए उप विषय :
1. सूफ़ी
परंपरा का इतिहास और क़व्वाली
2. सूफ़ी
संप्रदायों का इतिहास
3. सूफ़ी
परंपरा में स्त्रियाँ
4. सूफ़ी
दर्शन
5. सूफियों
पर इस्लाम का प्रभाव
6. भारतीय
उपमहाद्वीप में सूफ़ी परंपरा
7. सूफियों
पर भारतीय दर्शन का प्रभाव
8. सूफियों
पर भारतीय संस्कृति का प्रभाव
9. भक्तिकाल
और सूफ़ी
10. भारतीय उपमहाद्वीप में सूफ़ी संगीत
11. क़व्वाली का इतिहास
12. अमीर खुसरो और क़व्वाली
13. भारतीय उपमहाद्वीप के प्रमुख क़व्वाल
14. ख़ानकाहों के क़व्वाल बनाम व्यावसायिक क़व्वाल
15. क़व्वाली का व्यवसायीकरण
16. कव्वालों की वर्तमान दशा
17. फिल्मों में क़व्वाली का रूप
18. भारतीय उपमहाद्वीप की विभिन्न भाषाओं में
क़व्वाली
19. क़व्वाली के विभिन्न रूप
20. क़व्वाली से जुड़े शोध कार्य
21. क़व्वाली और सूफ़ीवाद का भविष्य
22. क़व्वाली का आर्थिक पक्ष
23. क़व्वाली गायकी और महिला क़व्वाल
24. क़व्वाली के घराने
25. उर्स और क़व्वाली
ऐसे ही किसी अन्य विषय पर शोधपत्र पूर्व अनुमति के
साथ तैयार किया जा सकता है । शोध आलेख हिन्दी और
अँग्रेजी में भेजे जा सकते हैं । शोध आलेख 2000 शब्दों से अधिक नहीं
होना चाहिए । हिन्दी के शोध आलेख यूनिकोड मंगल में ही होने चाहिए ।
अँग्रेजी के आलेख टाइम्स रोमन में ही हो । फॉन्ट साइज 12 ही रखें । आलेख की वर्ड
फाइल ईमेल द्वारा भेजें । आलेख के अंत में अपना नाम, पद नाम और
संपर्क की अन्य जानकारी अवश्य लिखें । आलेख निम्नलिखित ईमेल पर ही भेजें : sufismwebinar@gmail.com
चुने गये शोध
आलेखों को ISBN पुस्तक के रूप में यथासमय प्रकाशित किया जायेगा । फ़िर
भी इस संदर्भ में अंतिम निर्णय का पूरा अधिकार महाविद्यालय को होगा ।
इस वेबिनार
के लिए किसी प्रकार का कोई पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जायेगा । लेकिन पंजीकरण
पत्र भरना अनिवार्य है । पंजीकरण पत्र भरने के लिए निम्नलिखित लिंक पर जायें
: https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdMfsKfTny0Mr9ruSM6OZBdJwSI2lNqfPpCSo5KTM6aLpTllQ/viewform?usp=sf_link
इस वेबिनार
से संबंधित सारी जानकारी निम्नलिखित ब्लॉग पर उपलब्ध रहेगी ।
संयोजक प्राचार्या
डॉ मनीष कुमार मिश्रा डॉ अनिता मन्ना
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